...सम्बंधों का मर्म...
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सुनो,
प्रियतम,
तनिक सोचो तो,
नदी के दो किनारे,
इतने पास आ जाएं,
इतने पास,
कि नदी ही खो जाए,
बिन किनारा नदी कैसे बहेगी...??
मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता,
सम्बंधों के लिए,
ज़रूरी है,
एक अदद,
दूरी.....!!!
#करुनेश कंचन