...सम्बंधों का मर्म...
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सुनो,
प्रियतम,
तनिक सोचो तो,

नदी के दो किनारे,
इतने पास आ जाएं,
इतने पास,
कि नदी ही खो जाए,
बिन किनारा नदी कैसे बहेगी...??

मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता,
सम्बंधों के लिए,
ज़रूरी है,
एक अदद,
दूरी.....!!!

#करुनेश कंचन

Hindi Poem by करुनेश कंचन.. : 111556487
Sushma Gupta 4 years ago

प्रियतम से दूरी बना कर प्रेम के अस्तित्व को बनाए रखने की कल्पना बहुत शानदार..... 💐💐💐

Priyan Sri 4 years ago

अति सुन्दर 👌

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