भीष्म पितामह अजर अमर थे,
उनकी मृत्यु स्वयम् के योग से हुई,
जैसे उनको बाण लगते थे वह बाण तुटकर गीर जाते थे और पितामह के घाव भी भर जाते थे,
उनकी मृत्यु मस्तक(ब्रह्म रंध्र)छोड़कर आकाश की ओर चलें गएँ और इसी योग के कारण भीष्म पितामह ने अपने प्राण छोड़े।
-भागवत् गीता