संकल्प ही सफलता का सूत्र है
श्री संजय सेठ एक सुप्रसिद्ध चार्टर्ड एकाऊंटेंट होने के साथ साथ संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठ चिकित्सक स्वर्गीय डा. जे.एन. सेठ के ज्येष्ठ पुत्र भी है। वे नगर के सुप्रसिद्ध नर्मदा क्लब जिसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल में सन् 1889 में हुआ था और इसी क्लब में विश्व में सबसे पहली बार स्नूकर का खेल खेला गया था। वह ऐतिहासिक टेबिल जिस पर इस खेल को खेला गया था आज भी यहाँ पर सुरक्षित है। ऐसे प्रतिष्ठित नर्मदा क्लब में वे सन् 2004 से लगातार अध्यक्ष पद हेतु निर्वाचित हो रहे है।
वे अपने बीते हुए जीवन के विषय में बताते हैं कि उन्होंने विज्ञान विषय में बी.एस.सी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वे असमंजस में थे कि वे विज्ञान विषय में आगे अध्ययन करें या अपनी शैक्षणिक दिशा बदल ले क्योंकि उनकी अभिरूचि चार्टर्ड एकाउटेंट बनने की दिशा में हो गई थी। उनका कहना है कि वह समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण लग रहा था और उनके शुभचिंतकों की सलाह थी कि विज्ञान विषय में उत्तीर्ण होने के पश्चात सी.ए. की परीक्षा में सफल होना बहुत कठिन है। उनके साथ पढने वाले एक सहपाठी ने सबके सामने उन्हें ताना मारते हुए कहा कि ये तो पढाई में इतने होशियार है कि सी.ए बन ही जायेंगे।
उसकी इस उलाहना से उन्होने मन में यह संकल्प लिया कि चाहे जो कुछ भी हो जाये, उन्हें कितना भी परिश्रम क्यों ना करना पडें, वे सी.ए की परीक्षा को अवश्य उत्तीर्ण करके ही रहेंगें। इस दृढ निश्चय के कारण वे रात दिन अपने संकल्प को पूर्ण करने में व्यस्त हो गये। उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनका मनोबल बढाया और सी.ए. की परीक्षा के उपरांत जब परीक्षा परिणाम आया तो वे आश्चर्यचकित रह गये और उन्हें महसूस हुआ जैसे वे कोई स्वप्न देख रहे हो परंतु यह हकीकत थी कि वे अच्छे नंबरों से सी.ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गये थे।
उन्होंने अपने परिवार की भावना के अनुसार अपने पैतृक स्थल जबलपुर से ही प्रैक्टिस शुरू की और सफलता के उच्च आयामों को छुआ। उनका युवाओं के लिए संदेश है कि इंसान सच्चे मन से कोई संकल्प ले और उस दिशा में अथक परिश्रम करे तथा ईमानदारी से प्रयासरत् रहे तो कोई भी ऐसी मंजिल नही है जिसे वह पा नही सकता हो।