मन में जंगल उग आया है
फिर भी एहसास रहता है,
गंगा जब-जब रूकती है
सूखा दिखने लगता है।

मन में जंगल उग आया है
फिर भी प्यार दिखता है,
मीलों पीछे जब देखूं
समय पीछा करता है।

कथा पुरानी हो चुकी है
फिर भी अपनी लगती है,
मीलों आगे आ चुका हूँ
पर मुस्कान पुरानी मिलती है।

*महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111537263

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