न कही जिक्र करो, न शोर करो;
किये कर्मोंका यूँ इशारा ना करो।
बोलने दो हर एक कर्मको खुदसे,
दोहराके वो, जबां बर्बाद न करो।
समझदार लोग, ख़बरदार भी है,
अपने कर्मोंका युँ दरबार न भरो।
महफ़िल तो लगेगी बारबार कहीं,
अपनेही कर्मोंका गुणगान न करो।
चाहे सुनो उनसे किये कर्मोकी बाते,
बातबातपें, खुदपे यूँ गुमान न करो।

~ केतन व्यास

#कर्मा

Hindi Shayri by Ketan Vyas : 111535519

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