न कही जिक्र करो, न शोर करो;
किये कर्मोंका यूँ इशारा ना करो।
बोलने दो हर एक कर्मको खुदसे,
दोहराके वो, जबां बर्बाद न करो।
समझदार लोग, ख़बरदार भी है,
अपने कर्मोंका युँ दरबार न भरो।
महफ़िल तो लगेगी बारबार कहीं,
अपनेही कर्मोंका गुणगान न करो।
चाहे सुनो उनसे किये कर्मोकी बाते,
बातबातपें, खुदपे यूँ गुमान न करो।
~ केतन व्यास
#कर्मा