हे घट घट वासी बनवासी कल्याण करो,
जो फैली विपदा अब उसका निपाट करो।
तुम सिरोमणी तुम पालक जीवन दान करो,
दर्द है जो कुन्दन बन रहा निष्काम करो।
मेरी जीवन अभिलाषाओं का अंत करो,
दो शांत सुभाव मुझे सुख छाव करो।
मेरी विनती को स्वीकृत जो प्रदान करो,
हो प्रदीपित मेरा जीवन कल्याण करो।
फिर असुमेघ ना कहीं बन्ध जाए,
जो युद्ध हो रहा मन में बाहर ना आए।
मेरे प्रभु एसा अब कुछ कम करो,
जो ही किचित मन उस बलवान करो।
वंदना सिंह