किसकी राह देख रहे हो,
अब तो सभंलजा नादाँ दिल;

छोड़कर तुमे जो चले गये हैं,
उनसे तुं नहीं पायेगा मिल;

वक्त क्युं बर्बाद करे अपना,
मित्रों के साथ फिरसे खिल;

खारे समंदर की आश छोड़,
प्यास बुझायेगी मिठी झिल;

"विनोद" भरले जीवन में,
खुशियों को बना तुं मंजिल;

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111532631

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