मोह गया,
तो बैराग अपने आप आ जाता है,
मोह ही सब बंधनों का कारण है,
ईश्वर की जिसपे कृपा होती है,
वे उनके मोह को शीघ्र ही तोड़ते है,
जिससे वो जल्दी ही मुक्त हो,
और इस काम के लिए,
ईश्वर उनके अपनों से भी दुख दिलवा देते है।
-Krishnakatyayan

Hindi Poem by Krishna Chaturvedi : 111530508

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