मित्रता दिवस पर बिशेष:-
उत्तम मित्र शास्त्र की तरह हैं जो अमृत पिलाते है
मित्रता एक ट्रैन कि सवारी जैसी होती है आप के लाख चाहने पर भी मित्र रुपी सवारी को आप जीवन रुपी ट्रैन में बैठाए नहीं रह सकते हैं क्योकि उन में कुछ उतर ही जाते हैं किन्तु आगे के स्टेशन में कुछ और नए मित्र जीवन की ट्रैन में सवार हो जाते है मनुष्य का प्रयास पवित्र है तब वह उत्तम मित्रों की श्रृंखला को बनाए रखते हैं बिद्यावान मित्र की अंगुलियाँ पकड़ चलने वाला मनुष्य सदैव श्रेष्ठ कर्मों में लिप्त रह कर खुद अति सामर्थवान बन जाता है सर्वोत्तम मित्र के नजदीक रहने मात्र से मनुष्य के अंदर बौद्धिक विकास के अलावा उसकी उन्नति होती है सच्चा मित्र सदैव सुविचार और सुविचारों से सुसंगति की प्रेरणा देता है सुसंगति से ही ज्ञान की बृद्धि होती है सुन्दर विचारों वाला मित्र फलदार बृक्ष की तरह है जो मनुष्य को छाँव और मीठे फल खाने के लिए प्रदान करते हैं उत्तम मित्र अपने मित्र के जीवन में एक सुरक्षा कबच का काम करता है। मित्र के ज्ञान बल से मनुष्य श्रेष्ठ और शक्ति से युक्त होता है जैसे उदय होता हुआ सूर्य अपने ताप और प्रकाश से स्वास्थ एवं ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है उसी तर्ज पर उत्तम मित्र अपने मित्रों को ज्ञान और प्रेरणास्पद विचारों के माध्यम से लाभान्वित करते हैं यदि उत्तम मित्रों की संगति को समझे तो निश्चय ही जीवन में सुख सम्बृद्धि आ सकती है जैसे अग्नि की लपटें चारो ओर प्रकाश फैलाती हैं उसी प्रकार उत्तम मित्र मनुष्य के जीवन में सद्गुणों का प्रकाश फैलाते हैं उत्तम ब्यवहार,उत्तम मन, और उत्तम बुद्धि, वाला मित्र अपने मित्र के जीवन में उन्नति का रास्ता प्रशस्त कर सम्पदा प्राप्ति का उत्तम मार्ग भी सुझाता है जरूरी नहीं की आपका मित्र धनवान हो मगर गुणवान अवश्य होना चाहिए! हितकारी गुणों से युक्त मित्रों से मनुष्य सदा सुख पाता है बस्तुतः सज्जन पुरुष ही मित्र बनाने योग्य होते हैं जो सुपथ पर चले और मित्र को भी सुपथ पर चलने की राह दिखाए वही उत्तम मित्र होता है बिपत्तिकाल में मित्र के काम आवे वही सच्चा मित्र हैं जो मनुष्य मित्र की बहन और बेटी को अपनी बहन बेटी का दर्जा दे पाए वही पवित्र आचरण से युक्त मित्र परम मित्र का दर्जा देने लायक होता है मित्र के न रहने की सूरत में मित्र के पूरे परिवार जन की शुद्ध मन से सेवा करे वही सर्वोत्तम मित्र कहा जाता है मित्र की अनुपस्थित में उसके परिवार के भरण पोषण में मदत कर उसके पुत्रों को संसाधन मुहैया करवाने वाले मित्रों को समाज में सबसे उत्तम दर्जा वाला माना जाता है भूल कर भी ऐसे मित्रों को दूर करने वाला कोई ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे वो आपसे दूरिया बन लें ऐसे उत्तम मित्र किस्मत वाले मनुष्यों को वो भी बड़ी कठिनाई से मिलते हैं ऐसे मित्रों का सदा आदर करें जैसे आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं वैसे सम्मान के हकदार होते हैं ऐसे मित्र।
लेखक-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'