तू तलाशे मुझे ऐसा इतिकाम होगा,
तू जानता मरने के बाद राज मेरा सरेआम होगा।
ख्वाहिश जो अधूरी हैं पूरी हो तेरी,
मेरे ख्वाहिशों का सैलाब होगा।
तू तरसता रहे एसे ही मेरी इक नजर को,
मेरा हर नज़रों में एसा खिताब होगा।
तू समझता ख़ुदा बक्सेगा तुझे,
सारे गुनाहों का अब हिसाब होगा।
मेरी दुवाओं की उम्र लगे वो लम्बी हो तेरी
मेरी उम्र पर फिर ना कोई सवाल होगा।
तू जो जागीर समझता है मुझे,
ख़ुदा के घर इसका हिसाब होगा।
अपने हाथो से दफना दोगे मुझे,
फ़िर ना मेरे समय का हिसाब होगा।