मुश्किलों में सौ मुश्किलें होती
मैं झेल लेती...
अनगिनत पापड़ मैं बेल लेती
वो कहता तो सही,पास रहता तो सही
उसे चाहत ही नहीं,मेरी आदत ही नहीं
मैं कहां तक अपनी कल्पना से खेल लेती
अब एक भंवरे के उड़ जाने से
फूल का मुरझाना तो ठीक नहीं...!!

Hindi Poem by मिन्नी शर्मा : 111525336

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