जख़्म इतने गहरे है, इजहार क्या करें
हम खुद निशाना बन गए, वार क्या करे
मर गये हम मगर खुली रह गई आंखे हमारी
अब इससे ज़्यादा उनका, इंतज़ार क्या करे....

Hindi Shayri by Krutika : 111524595

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