दादी सपने आते हैं


दादी सपने आते हैं
चीटीं खाना लाती है
मधुमक्खी छत्ता बुनती है
मकड़ी जाला बिछाती है,
ध्रुव तारा मन में आता है
चिड़िया सुन्दर लगती है
मेला झिलमिल करता है
दादी सपने आते हैं,
कोहरा छटता दिखता है
पगडण्डी लम्बी मिलती है
घास हरी उगती है
खेल सिराने रहता है,
हँसी नमन करती है
पाँव डगमग चलते हैं
हाथों की ताली बजती है
गाँव का साथ दिखता है,
विद्यालय प्राथमिक मिलता है
घर का साया चलता है
माँ सपने लाती है
दूध -कटोरा रखती है।
२८.०७.२०१५
@महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111524283
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अति सुंदर.. एवम आपनें बचपन को याद दिला दिया

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