पसीने से तर बतर
औरतें
झौंक देती हैं
रसोई की आग में
अपने सारे अरमान
सारे सपने
और हो जाती है सदा के लिये सवेंदनाओ से मुक्त

-राघवेन्द्र राज

Hindi Thought by राघवेन्द्र राज : 111521206

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