निश्छल जो जलसा, चंचल पवन सा ,
धीरता लगन का , समावेश गगन सा ,
श्रंगों से ऊंचा वह, सागर से गहरा वह हृदय मे लालसाओं का जाल लिए पहुंचता है वह जीवन के श्रंग पर, ऐसे ही कितने बाल सुलभ भावों से ,
संचित है यह बचपन।

Hindi Poem by Archana Gupta : 111520982

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