कुछ गहरा सा लिखना था,
"इश्क" से ज्यादा क्या लिखूं.

कुछ ठहरा सा लिखना था,
तेरे "एहसास'' से ज्यादा क्या लिखूं.

कुछ समन्दर सा लिखना था,
"जज्बात" से ज्यादा क्या लिखूं.

सुनो अब जिन्दगी लिखनी है,
"तुमसे" ज्यादा और क्या लिखूं .....!!

Hindi Shayri by परेश मेहता : 111518692

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