लिखना छोड़ चुका था में
लेकिन तुमने आज मुझे लिखने पे मजबूर किया है।।

तुम्हारा हाथ थाम के
ज़िन्दगी का सफर तुम्हारे साथ ही मैने तेय किया है।।

पास ना भी हो मुझसे फ़िर भी
मेने हरपल तुमको अपने अंदर ही मेहसूस किया है।।

अगर बात करू ख़्वाबों की तो
एक तेरे अलावा ना कोई दूजा ख़्वाब हमने जिया है।।

सुन लो कान खोलकर तुम
इस जनम से लेके हर जनम तक अपने आपको सिर्फ तुम्हारे नाम किया है
करता हूं बेशुमार मोहब्बत तुझसे इसका आज मेने सरेआम ऐलान किया है।।

लिखना छोड़ चुका था में
लेकिन तुमने आज मुझे लिखने पे मजबूर किया है।।
हार्दिक rajput

Hindi Shayri by Hardik Rajput : 111518106

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