मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सू भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि पचि, देति न माखन रोटी।
सूरज चिरजीवौ दौ भैया, हरि हलधर की जोटी।
#सूरदास

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111513680

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now