शिखर, जिस अनदेखे नाम को लेकर उसकी उत्कंठा का ठिकाना न था, आखिर वह आ ही गया। पढ़ें मातृभारती पर उपन्यास ' उर्वशी ' में -

ज्योत्सना कपिल लिखित कहानी "उर्वशी - 2" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
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Hindi Story by Jyotsana Kapil : 111507603

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