मैं ...

मैं खुद से ही
अलग हो गया हूं

ना जाने कब से
दुनिया के ही आइने में
देखने लगा हूं खुद को

खो गया हूं मैं अब
जाने कहां
भीड़ में दुनिया की

समझ नहीं आता
कि मेरे भीतर भर गई है
ये दुनिया सारी
या कि
मैं ही हिस्सा हो गया हूं
बिखर गया हूं
कतरा कतरा
तमाम दुनिया में

:- भुवन पांडे

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111506339
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अद्भुत सृजन...

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