ज़िन्दगी ...

कौन कहता है
ज़िन्दगी नहीं देती
दूसरा मौका

ज़िन्दगी तो
बहती हुई नदी
की तरह बढ़ती है
लांघते हुए -
पर्वत पहाड़
गहरे खड्ड
पत्थर चट्टानें

कितने ही रास्ते
बदलती है ये
कितने ही समय के
थपेड़े सहती है ये

और जो बूंदें
नहीं छोड़ती बहना निरंतर
वो असीम संभावनाओं
के सागर से भर लेती हैं
अपना दामन

:- भुवन पांडे

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111506322

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