नुकसान
एक अदृश्य दुश्मन
सदियों से चला आ रहा था जो
करने अत्याचार निरीह प्राणियों पर
अचानक एक दिन चीनी बोतल से बाहर
किसी जिन्न के मानिंद निकला
एक एक कर लोगों को अपनी चपेट में करता हुआ
बढ़ता रहा निरंतर
जिंदगी होती रही दुष्कर
एशिया ,अमेरिका ,अफ्रीका ,ऑस्ट्रेलिया और यूरोप
सबका नुकसान
एक एक कर घर हो रहे सुनसान
कैसे करें कहां जाएं क्या इलाज हो नहीं पता कुछ भी नहीं पता
लक्षण के बाद भी
बिना लक्षण के साथ भी
कुछ जिंदा है अपने दम पर
कुछ बिना लक्षण के भी खुदा को हो जाते हैं प्यारे
सुबह दोपहर या भिनसारे
कैसे करें किस से कहें कौन पराए कौन है प्यारे कर जाते हैं नुकसान
अनगिनत अनंत दुख दर्द के साथ
जीने के लिए छोड़ जाते हैं बिल्कुल अकेला
सागर की लहरें हैं उठती गिरती हैं
नदियां कल कल करती हुई बहती हैं
पंछी कलरव करते हैं फिर भी
जीवन अलबेला निपट अकेला
चलने को मजबूर
बहुत दूर -बहुत दूर।
-शिव सागर शाह 'घायल'
#नुकसान