मैंने मेरे हर सुख और दुःख पर हमेशा ही कुछ लिखा है,
लेकिन तुमसे हुए अलगाव पर लिखी गई मेरी किसी भी रचना ने मुझे संतोष नहीं दिया।
वो शायद इसलिए क्योंकि मैं उतना नहीं लिख पाई जितना चाहती हूँ।
या शायद वो ईमानदारी नहीं है मेरे लिखने मैं जो बाकी समय हुआ करती थी।
फिर लगता है अलगाव पर लिखना आसान कहाँ है।
जब मकान बनता है तो नींव पक्की होती है।
मैं जब भी तुम पर लिखती हूँ,
नींव भीग जाती है, और पानी भर जाता है..
फिर, मेरा मकान बनता ही नहीं, केवल नमी बाकी रहती है।
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Hindi Thought by Roopanjali singh parmar : 111505769

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