ये कैसा प्रेम
जिसमे तुम पूर्ण हो
मैं हो कर भी अपूर्ण
मुझमे तुम दिखते पूरे पर
मुझमे मेरी ही पहचान नहीं
ये कैसा प्रेम
जिसमें चाहत दोनों की
मिलन को दोनों ही कतराएं
मात्र एक तिनके की दूरी रहते
दोनों मर्यादा में घुले
यही तो है प्रेम
जो खोने से डरते एक दूजे को
तभी अधूरा रखते एक दूजे को

https://www.instagram.com/rishi_chopda_actor/

Hindi Poem by Rishi Chopda : 111504890

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