कुछ बहुरूपिये आ गये इस शहर में
बहुरंगी पोशाक के बदले ज़हर में
इस क़दर लिपटे हैं ख़ून सने ख़ंजर में
कि पता हीं नहीं चलता साज़िश एक नज़र में।

Hindi Hiku by Mukteshwar Prasad Singh : 111502792

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