ज़मीनें
मकान
गाड़ियां
पैसा ...

और ना जाने
कितना ही सामान
भरे लादे
ज़हन में
फिरता है आदमी

इनके फितूर में
फूला रहता है
उसका सीना
और
इन सब
बेजान सामान को
चिपकाए
अपने सीने से
कितने ही
दिल के रिश्तों से
दूर हो जाता है
और
सारे खोखले
सामान की भीड़ में
खो देता है
खुद ही को कहीं

:- भुवन पांडे

#सामान

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111499185

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