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फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था रंजिश में रिश्ता निभाना मुमकिन नहीं था , ये दूरियाँ फ़क़त तेरे मेरे दरमियाँ रहीं पर तुम्हें भूल जाना मुमकिन नहीं था..!! ✍️ गीता परमार..
Thanks
sahi he kyu ka koiye bhi ho wo kabhi bhi nahi chahega ka rishtya tute esi liye bhulna to na mumkine he...
धन्यवाद 😊
Bahooot Khoob... 👌👌👌
वाह क्या कहना.. 👌
क्या कहेना।,,,👍👍 हो जायेगा सफ़र आसान आओ साथ चलकर देखें, कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें.।,,
वाह, बहोत खुब !!!
वाह.. 👌 सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो , कई लोग हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो..
वाह गीता बहेन,,,,,बहोत खूब,👍👍 बनकर अजनबी मीले थे कभी, *MB*के सफर में,,,,, इन यादों के लम्हो को कभी न भूल पाएंगे।
वाह... बहुत बहुत शुक्रिया.. 🙏
लेखनी इस कदर इतराया न करो । मुँह से वाह निकल जाये ऐसा लिखा न करो ।। लेखनी को थोडा समझाओ । यह किसी का दिल लुट न लें ।। ऐसे ही दिल को छू जाये ,ऐसा लिखती रहे । वाहहहहहहहहहहहह ।
वाह क्या खूब.. 👌 शीशे में डूब कर , पीते रहें उस "जाम" को कोशिष तो बहुत की पर भूला ना पाये एक नाम को..
वाह क्या बात है।👍 मेरी रूह में न समाती तो भूल जाता तुम्हे, तुम इतना पास न आती तो भूल जाता तुम्हे, यह कहते हुए मेरा ताल्लुक नहीं तुमसे कोई, आँखों में आंसू न आते तो भूल जाता तुम्हे।
शानदार....
Superb 👌🏼
सुप्रभात
गज़ब इम्तिहान मुहब्बत लेती है, गांव दिल पर , गहरा ही देती है, कैसे भुलाएं लम्हे हंसी बौछार के, दर्द ए तन्हाईयां, बार बार देती है
Nice
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