बेख़ौफ अब फिर लोगों के चेहरे चमक रहें हैं..
कुछ नए-पुराने सिक्के फिर बाज़ारों में खनक रहे हैं..
जाने कितने फूल जो मिट्टी बन गए हैं इस बगिया के,
खुशकिस्मत हैं वो फूल जो अब भी महक रहें है..

Hindi Shayri by Sarita Sharma : 111488040

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