#देह_की_दहलीज_पर

इंसान जन्म के साथ ही अनेक रिश्तों में बंध जाता है। रिश्तों का यह बंधन कभी खुशी देता है, कभी गम, किन्तु उनके साथ ही लड़ते-झगड़ते, मिलते-बिछुड़ते और हँसते-खिलखिलाते ज़िंदगी का सफर चलता है। सभी रिश्तों का बंधन चांस की बात है, बस पति-पत्नी का रिश्ता ही चॉइस से बनता है। यह एक ऐसा रिश्ता है जो ज़िंदगी के हर उतार चढ़ाव को आसानी से पार कर लेता है, बशर्ते कि एक दूसरे का हाथ थामे रहे। जितना सिंपल होता है, उतना ही कॉम्प्लिकेटेड भी, किन्तु सबसे खूबसूरत रिश्ता है ये...!
लेकिन जब जीवन में एकरसता आने लगे या कि अचानक बदलाव हो तो पति पत्नी का रिश्ता अपनी मधुरता खोने लगता है। एक उम्र के बाद मूड स्विंग्स के कारण स्वभाव में आया चिड़चिड़ापन परिवार में समस्या उत्पन्न करता है। जब तन, मन और बंधन में भी खालीपन और बोझिलता एक साथ हावी होने लगे, कोई उसकी वजह समझ ही नहीं पाता। इस उपन्यास की नायिका कामिनी और उसकी सहेली नीलम दोनों ही उच्च शिक्षित नौकरीपेशा महिलाएं हैं। प्रतिष्ठित और सशक्त पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि के बाद भी दोनों अपने अपने रिश्तों में आई तब्दीली की वजह समझ ही नहीं पातीं। कामिनी यह देखकर आश्चर्यचकित होती है कि उसकी गृह सहायिका पति से पिटाई और तमाम अभावों के बावजूद भी ज़िंदगी में खुश है। दूसरी तरफ कामिनी का पति मुकुल है जो एक सफल बिज़नेसमैन है और कामिनी से बेइंतेहा प्यार करता है। पद, पैसा, प्यार और प्रतिष्ठा सबकुछ होने के बाद भी उनके रिश्तों में तनाव है, आखिर क्यों...? सुयोग-प्रिया, अभय-शालिनी-तरुण और अरोरा अंकल आंटी कितने ही किरदार हैं जो ज़िन्दगी के विभिन्न पड़ावों पर अलग वजहों से उलझे हैं और समाधान तलाश कर आगे भी बढ़े हैं। हमारी जीवनचर्या और हमारे हार्मोन्स एक दूसरे से किस कदर प्रभावित होते हैं, यह जानना तकलीफदेह भी हो सकता है और रोचक भी.... ज़िंदगी में खुश रहने के लिए प्यार अहम तत्व है, तब... जब यह तन और मन दोनों को तृप्त करे... साधन संपन्न और प्यार से तृप्त ज़िंदगी में भी कामिनी कहीं न कहीं खुद को तृषित पाकर अचंभित है... यह कैसी प्यास है? उसकी वजह तलाशना जरूरी है। क्यों दिल के रिश्ते देह की दहलीज पर आकर बिखरने लगते हैं? क्या आप जानना नहीं चाहेंगे? इस उपन्यास में आपको उन सारे सवालों के समाधान मिलेंगे, जो आपके दिमाग की घण्टी बजाते रहते हैं... हम सब सह लेखिकाओं ने अलग अलग उम्र में वैवाहिक रिश्तों में आने वाली दरार की वजह पता लगाने के साथ कोशिश की है उसका हल ढूँढने की, जो कि पारिवारिक, सामाजिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उन रिश्तों की तहकीकात करती है। जब आप उपन्यास पढ़ेंगे तो इसके पात्र आपको अपने आसपास नज़र आएंगे। आज आपके अपने प्रिय पोर्टल मातृभारती पर इस उपन्यास की अंतिम कड़ी प्रकाशित हो चुकी है..... अब कैसा इंतज़ार...?? पढ़िए सम्पूर्ण उपन्यास एक साथ...!

Kavita Verma लिखित उपन्यास "देह की दहलीज पर" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/novels/16686/deh-ki-dahleez-par-by-kavita-verma

Hindi Story by Dr. Vandana Gupta : 111480591

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