पितृ दिवस पर विशेष:-
'पिता'
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया पिता।
कामयावी की भी मंज़िल दिलाया पिता।
गलत आदतों को हर बार छुड़ाया पिता।
श्रम भट्टी से आसुंओं को सुखाया पिता।
अच्छे बुरे कर्मों का अंतर बताया पिता।
खुद फटे कपड़े पहने नया पहनाया पिता।
खुद दर्द पीते रहे पर अमृत पिलाया पिता।
रोने की आवाज सुनकर चाँद लाया पिता।
अपने पूरे कुटुम्ब में रोशनी फैलाया पिता।
इसीलिए सदा घर की छत कहाया पिता।
रचना-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'

Hindi Poem by shiv bharosh tiwari : 111480431
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर वर्णन..

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