इतना भी उग्र मत हो ए प्रकृति
कि तुम हमारा अस्तित्व ही मिटा दो।
माना कि हमारा अपराध बहुत बड़ा है,
पर अब उसे क्षमा भी कर दो।
तुम तो हमारी मां हो,
और मां अपने बच्चों से कहां इतना नाराज़ रह पाती है।

#उग्र

Hindi Thought by Pragya Chandna : 111468766

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