माफ़ी के लायक़ हूँ गर तो कर देना भगवन माफ़
प्रकाश हो जीवन का तुम ही बिल्कुल है ये साफ़

मैं मानुष इस जगत का तुमसे ही रचना हुई
हर बार बचा अनहोनी से साथ कई घटना हुई
मार्ग दिखाए कितने पर, बुद्धि मेरी ही भ्रष्ट हुई
सुख में भूल गया मैं क्यों, दुःख में तेरी याद हुई
जब मन आँखों से देखा तब दिखे तेरे रूप कई
नादानी थी मेरी जो हमसे पहचानने में भूल हुई



#लायक़

Hindi Poem by ALOK SHARMA : 111467583

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