इस संसार मे कुटिल मानसिकता के मनुष्य अपना ज्ञान सिर्फ गलत तर्कों में, स्वयं हित साधन हेतु, अधिक धन संग्रह मे, अपने अंहकार, अपने स्वार्थ और अपनी सत्ता स्थापित करने और दूसरों को पीड़ा देने के लिये उपयोग करते है। इसके विपरीत ही सज्जन मनुष्य अपने ज्ञान अपनी विद्या को अच्छे कार्यो और सत्कर्मो के लिये, अपना धन समाज की भलाई के लिये और अपनी सत्ता को निर्बलों के रक्षण हेतु उपयोग करते है।
बस यही फर्क सच और झूठ में भी होता है।

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