ये सभ्य मानव समाज की कशमकश है कि देह की भाषा और अभिलाषा को अभिव्यक्त नहीं कर पाते। जबकि पेट की तरह देह की भी भूख होती है और उसके पूरे न होने पर मन के रिश्ते भी दरकने लगते हैं।
क्या होता है सुयोग और प्रिया के रिश्ते का क्या सुयोग प्रिया से दूरी के समाधान में शालिनी से नजदीकियां बढ़ाता है?
क्या सभ्यता के दायरे में ऐसे रिश्ते पनप सकते हैं? जानने के लिए पढ़ें उपन्यास देह की दहलीज पर

Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 7" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
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#सभ्य

Hindi Story by Kavita Verma : 111460709

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