तिनका तिनका बीनती,
तब बन पाता #घोंसला ।
कभी उड़ाती आँधी उसको,
कभी भिगोती बरसातें।
लेकिन नन्ही गौरैया,
नहीं कभी जग हारती।।
जो गिर जाता, नया बनाती,
भीगे को कुछ धूप दिखाती,
मोह बनाती, नेह सजाती,
पर नहीं कभी आसक्ति दिखाती।।
नव रचना का कर्म पूर्ण कर,
छोड़ #घोसला फिर उड़ जाती,
आसक्तिहीन स्नेह ही सुंदर,
सहज भाव से कह जाती।।