जब भी उदास हो चाँद के पास जाती हूँ,
तब-तब लगा कि वो भी उदास मेरा ही इंतिज़ार कर रहा था,
मैंने उसे अपनी सारी कहानी कह डाली,
जब उसकी बारी आई तो
न जाने क्यों बादलों में जाकर छुप गया?
शायद मेरी कहानी सुनके रोने चला गया हो,,,

Hindi Poem by सिद्ध साहित्य : 111453718

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