#शरारती
कभी नादां, कभी मासुम समज के,
नज़रअंदाज़ प्रकृति मैया ने किया।

कभी बच्चे सी शरारत समज के,
इंसान को बख्श दिया ।

गलती पे गलती,गुनाह पे गुनाह,
देख प्रकृति मैया भी है रोई ।

फिर भी बाज न आया,
अपने दुष्कर्म से ये सन्तान ।

अब माँ ने भी ठानी,
भूले को राह दिखाने की।

देखो अब ममता का रुद्र स्वरूप,
लेके आयी अनचाहा रूप ।
Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111452314

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