बार-बार कह जाती हूँ मैं,
तुमसे कुछ अनजाने में

मेरे सपनों में कैसे तुम,
कौन झरोखे आ जाते हो
सांकल घर की बंद लगी है,
निकल किधर से तुम जाते हो
नयन ठहरो कुछ देर सही,
लो भोर हो गई अनजाने में

बार-बार कह जाती हूँ मैं,
तुमसे कुछ अनजाने में

तुम मेरे जीवन के मंदिर,
और प्रार्थना की सीढ़ी मैं
पल भर पहले थी मैं क्या,
क्या हुई मैं पल-भर बाद
मुझमें तुम ऐसे हो समाए,
सागर हुई बूँद अनजाने में

बार-बार कह जाती हूँ मैं,
तुमसे कुछ अनजाने में

# करुनेश कंचन

Hindi Song by करुनेश कंचन.. : 111448946
करुनेश कंचन.. 4 years ago

कनु दिल से धन्यवाद भाई💐💐💐

करुनेश कंचन.. 4 years ago

धनवंती बहन खुश रहो खूब....दिल से शुक्रिया बहन💐💐💐💐💐

करुनेश कंचन.. 4 years ago

धनवंती बहन खुश रहो खूब....दिल से शुक्रिया बहन💐💐💐💐💐

Dhanvanti Jumani _ Dhanni 4 years ago

बहोत सुंदर 👍😇

करुनेश कंचन.. 4 years ago

शुक्रिया दिल से.... Suryash ji💐💐💐💐

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