तेरी खामोशियों में खुद को उलझता हूं मैं ।
मेरे अल्फाजों से भी नहीं चेन पाता हूं मैं।।

कुछ दुस्वारिया भी है सबके के जीवन मे।
पर वक्त बेवक्त क्यों ?? सजा पाता हूं मैं।।

#खुद

Hindi Shayri by Er.Bhargav Joshi અડિયલ : 111447762

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