कहना था बहुत कुछ गर तुम समझ पाते
साहिल पे ठहर कर न लहरों से यूं घबराते
पाकर भी तुमने खोया है ऐ मेरे हमसफ़र
अब अजनबी से हम तुम नज़र हैं आते।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

Hindi Shayri by Kamini Gupta : 111447415

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