अंत की नहीं,
आरंभ की बात कर

नभ की नहीं,
धरा की बात कर

नहीं पी सकता मैं,
अथाह सागर का पानी

प्यास बुझानी है,
तो अंजलि भर
जल की बात कर।

Hindi Shayri by Abhishek Sharma - Instant ABS : 111447120

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now