#भाग्य
क्यों उलजा बैठा है?
भाग्य के इस खेल में।

लिख दे अपना भाग्य,
अपने कर्मो की कलम से।

भर दे पनो को ऐसी कहानी से,
ख़ुदा बंदे से खुद पूछे ,
बता तेरी रज़ा क्या है?
Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111447023

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