# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .भाग्य "
** कविता **
सभी जग में ,भाग्य की करामात बताते ।
पुरुषार्थ छोड़ सब ,भाग्य को सराहते ।।
अनहोनी हो या होनी हो ,सब भाग्य की बात समझते ।
निठ्ठल्ले बैठे बैठे ,भाग्य को ही कोसते ।।
ऐसे लोग कुछ कर नही पाते ,जीवित मृत देह होते ।
ध्रुव ने अपने पुरुषार्थ से ,ईश्वर को पांच वर्ष में पाया ।।
प्रह्लाद ने अपनी भक्ति से ,ईश्वर को है ध्याया ।
भाग्य के सहारे ,अकर्म आंसू ही गिनता ।।
पुरुषार्थ के पीछे तो ,भाग्य खुद चल कर आता ।
इसीलिए पुरुषार्थ की ,हर कोई सराहना करता ।।
बृजमोहन रणा ( बृजेश ) ,कश्यप ,कवि , अमदाबाद ,गुजरात ।