रख के अपने सीने पर पत्थर
हसरतें अपनी लिखते मिटाते हैं हम
बेरंग बेजान सज़ा ए ज़िन्दगी है
न मालूम इसे कैसे जिए जाते हैं हम
✍️निमिषा

Hindi Shayri by Nimisha : 111442375

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