सीता जैसी पूर्ण स्त्री की तेजस्विता

सीता को हम उन स्त्रियों में गिनते हैं
जिनको कि सती कहा जा सके।
अब सीता का समर्पण बहुत अनूठा है;
समर्पण की दृष्टि से पूर्ण है;
और टोटल सरेंडर है।
रावण सीता को ले जाकर भी
सीता का स्पर्श भी नहीं कर सका।
रावण सीता को आंख उठाकर भी नहीं देख सका।
और सीता के लिए रावण का कोई अर्थ नहीं था।
लेकिन, जीत जाने पर राम ने
सीता की परीक्षा लेनी चाही,
अग्नि परीक्षा लेनी चाही।
सीता ने उसको भी इनकार नहीं किया।
अगर वह इनकार भी कर देती
तो सती की हैसियत खो जाती।
सीता कह सकती थी कि आप भी अकेले थे,
और परीक्षा मेरी अकेली ही क्यों हो,
हम दोनों ही अग्नि परीक्षा से गुजर जाएं!
क्योंकि अगर मैं अकेली थी
किसी दूसरे पुरुष के पास,
तो आप भी अकेले थे
और मुझे पता नहीं कि कौन स्त्रियां
आपके पास रही हों।
तो हम दोनों ही अग्नि परीक्षा से गुजर जाएं!

लेकिन सीता के मन में यह सवाल ही नहीं उठा;
सीता अग्नि परीक्षा से गुजर गई।
अगर उसने एक बार भी सवाल उठाया होता
तो सीता सती की हैसियत से खो जाती
समर्पण पूरा नहीं था,
इंच भर फासला उसने रखा था।
और अगर सीता एक बार भी सवाल उठा लेती
और फिर अग्नि से गुजरती,
तो जल जाती;
फिर नहीं बच सकती थी अग्नि से।
लेकिन समर्पण पूरा था,
दूसरा कोई पुरुष नहीं था सीता के लिए।

इसलिए यह हमें चमत्कार मालूम पड़ता है
कि वह आग से गुजरी और जली नहीं!
लेकिन कोई भी व्यक्ति,
जो अंतर समाहित है……
साधारण व्यक्ति भी किसी अंतर समाहित स्थिति में
आग पर से निकले तो नहीं जलेगा।
हिप्नोसिस की हालत में
एक साधारण से आदमी को कह दिया जाए
कि अब तुम आग पर नहीं जलोगे,
तो वह आग पर से निकल जाएगा और नहीं जलेगा।

बिना जले आग पर से गुजर जाने का राज:

साधारण सा फकीर आग पर से गुजर सकता है
एक विशेष भावदशा में,
जब वह भीतर उसका सर्किल पूरा होता है।
सर्किल टूटता है संदेह से।
अगर उसे एक बार भी यह खयाल आ जाए
कि कहीं मैं जल न जाऊं,
तो भीतर का वर्तुल टूट गया,
अब यह जल जाएगा।
अगर भीतर का वर्तुल न टूटे
तो दो फकीर अगर कूद रहे हों कहीं आग पर,
और आप भी पीछे खड़े हों,
और दो को कूदते देखकर आपको लगे कि
जब दो कूद रहे हैं और नहीं जलते
तो मैं क्यों जलूंगा,
और आप भी कूद जाएं,
तो आप भी नहीं जलेंगे।
पूरी कतार, भीड़ गुजर जाए आग से,
नहीं जलेगी।
और उसका कारण है,
क्योंकि जिसको जरा भी शक होगा,
वह उतरेगा नहीं; वह बाहर खड़ा रह जाएगा;
वह कहेगा, पता नहीं मैं न जल जाऊं।
लेकिन जिसको खयाल आ गया है,
जो देख रहा है कि कोई नहीं जल रहा है
तो मैं क्यों जलूंगा, वह गुजर जाएगा,
उसको कोई आग नहीं छुएगी।

अगर हमारे भीतर का वर्तुल पूरा है
तो हमारे भीतर
आग तक के प्रवेश की गुंजाइश नहीं है।

Hindi Blog by YUVI : 111442061

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now