एक छोटा सा किस्सा सुनाती हु आपको।
आज वो खेलने चला गया,वैसे तो वो हर रोज खेलने नही जाता था क्युकि उसके पापा उसे जाने ही नही डेते थे,लेकिन आज हुआ यु के मोहल्ले के एक घर मे आज पूजा थी ,तो पूजा खतम होने के बाद वो वहा जो मोहल्ले के बच्चे आये थे उनके साथ उनके घर खेलने चला गया ।उस घर मे तिन बच्चे थे ।वो थोड़ी देर वहा खेला भी नही के उसके पापा ने उसे वापस बुला लिया, अब हुआ यु की उस घर जहा वो खेलने गया था उस घर से कोई कीमती वस्तु नही मिल रही थी । वो घर वाले वस्तु खोज रहे थे उस बाट का पटा उस बच्चे के पिता को चला तो उनहोंने तुरंत ही उनके बेते को बुलाया ओर पुछा तुमने तो वहा से चोरी नही की ना??उस बच्चे ने मना किया कि नही पापा मे ने कुछ नही किया ।उसके पिता ने उस पर दबाव डाला ओर जोर जोर से उस पर चिल्ला ने लगे ,बच्चा जोर जोर से रोने लगा ओर कहने लगा नही पापा मे ने कुछ नही किया ,पापा ने उसकी कोइ भी बाट नही सुनते हुए उसे आज घर मे खाना नही मिलेगा एसा कहा ओर वहा से चले गये।बच्चे को पुरा दिन खाना नही डीया गया।फिर सामको उस के पापा को पता चला की जो कीमती चिज खो गई थी वो उसी घर की तिन बच्चो मे से सबसे छोटे बच्चे ने छुपा डी थी।ओर घर मे ही छीपाइ थी इस वजह से आसानी से मिल भी गई थी ।
अब यहाँ देखो कि उस बच्चे की तो कोई गलती ही नहीं थी जिसे पुरा डीनो भूखा रहेना पडा,यहा गलती जिस इनसान से हुईं हे वो उस बच्चे के पिता की है जिसे अपने बच्चे पर भरोसा ही नही था।