#न्याय
#justice
न्याय और अन्याय में,
लोग इस तरह टकराने लगे
कि इंसाफ की अदालत को,
राजनीति अब बताने लगे
कहीं प्रवासी न्याय चाहता है,
तो कहीं श्रमिक न्याय चाहता है।
इस पलायन के जद्दोजहद में,
सन्यासी न्याय चाहता है।।
बेबस हो चुके हैं लोग, लाचार जिंदगी है
भूख,प्यास से तड़पती, बेकार जिंदगी है
कब तक चलेंगे नन्हे कदम,
आखिर मजबूर हो जाना है
मजबूरी में पल कर एक दिन
फिर मजदूर हो जाना है
जो आज गद्दी से उतर घर में हैं
वो सरकार के दोष दिखा रहे हैं
भ्रष्टाचार, सम्प्रदाय के नेता
उलंघन करके कानून सिखा रहे हैं
सक्षम है सहायक के काबिल है
फिर भी टुक टुक देख रहे
गरीब मरे तो मर जाए
वो हाथ हाथ में सेक रहे
ना जाने कब सुधरेंगे, ये राजनीति के करने वाले
न्याय न्याय की मांग करे, लाचार श्रमिक मरने वाले
ज्योति न्याय की मांग करे, बंद पड़े गलियारों से
क्यूं होता है कानून उलंघन, क्यूं सख्त पुलिस हथियारों से
।। ज्योति प्रकाश राय ।।