कभी कभी सोचती हूं तुम होती तो..
चेहरे पर बेशक झुर्रियां होती,
आंखो में ऐनक होता,
कंपकंपाते हाथो में छड़ी होती,
बेशक डगमगाते हुए चलती तुम,
पर मैं हिम्मत से खड़ी होती..
यूं बिखरी, दरकी, उलझी ना होती..
यूं तो बड़ी बड़ी बात कहने को सारा जहां है,
पर अपनी छोटी छोटी बातों के लिए कौन यहां है..
पर कभी कभी खुद को आईने के सामने देखती हूं,
तो तुम ही मेरी आंखो में दिखाई देती हो,
कभी तुम मेरी हंसी में सुनाई देती हो..
फिर सोचती हूं दूर कहा हो मुझसे,
तुम तो रूह से जुड़ी हो मुझसे..
फिर अहसास तुम्हारे ना होने से कितनी बेचैन हो जाती हूं,
इतने करीब होकर भी तुमसे, मैं अकेली रह जाती हूं
मीठे से सपनों में आकर भी तुम बहुत रुलाती हो,
"#माँ " तुम अब भी रोज बहुत याद आती हो...

Hindi Poem by Sarita Sharma : 111428840

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