उन ख्वाहिशों का बेसब्री से इंतजार है
जिन ख्वाहिशों को सब ओढते बिछाते थे..
सपने सबके बड़े थे,महत्वाकांक्षा आसमां से उपर..
बंद खिड़कियों से बच्चों की किलकारियां...
आज स्वच्छंद होने को बेकरार है..
रजनी तू कब जाएगी?
कब लाएगी भोर?
#डॉरीना #अनामिका #StayAtHome
#हिंदी_का_विस्तार

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111427990

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now