नज़रें उठा कर देखने को जी नहीं चाहता
जानती हूं चेहरा तेरा नहीं होगा
नजर झुका कर देखने को जी नहीं चाहता
जानती हूं चेहरा तेरा ही होगा
नज़रें फेर लेने को भी जी नहीं चाहता
जानती हूं फिर जीना मेरा नहीं होगा..।।

#चेहरा

Hindi Poem by मिन्नी शर्मा : 111423377

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